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You are requested to help me in building this compendium by contributing what you have learned from your grand parents, text books, epics and other sources of Indian knowledge. The blog has labels indicating origin/ source of the particular piece of wisdom you want to share. It is requested to submit in original language followed by the English translation. Please go to the label and give inputs. I am extremely thankful for your help in building this knowledge repository.

Sunday, May 25, 2014

एक बार सोने ने लोहे से पुछा, " भाई पिटता तो मैं भी हूँ, लेकिन तू इतनी आवाज़ क्यूँ करता है- क्यूँ रोता है इतना?"
इस पर सोने ने जवाब दिया, " भाई जब अपना अपने को मारता है ना तब तकलीफ ज्यादा होती है "

Saturday, May 19, 2012


मनस  चिन्तिताम्कर्मा वचस  ना प्रकाशायेत।  अन्य लक्षित कार्यस्य यतः सिद्दिरना जायते ।।

Manasa chintitamkarma vachasa na prakashayet ......Anya lakshit karyasya yatah siddirna jayate. (courtesy Bharat Pathak)

A project that has been thought in ones mind should not be revealed to others because a project which has come to notice of another does not succeed.

Wednesday, January 4, 2012

माला तो कर में फिरे, जीभ फिरे मुख माहि|
मनवा तो चहुँदिस फिरे, ये तो सुमिरन नाहि ||
माला फेरत जुग भया, गया न मन का फ़ेर|
कर का मनका डारि के, मन का मनका फ़ेर||
रहिमन निज मन की व्यथा, मन ही राखो गोय |
सुन हँस लेंगे लोग सब, बाँट न लेगा कोय ||

Saturday, December 31, 2011

माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर । 
आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर ॥ 

Friday, December 30, 2011

कबीरा ते नर अँध है, गुरु को कहते और । 
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर ॥